रक्तदान कर एम.आर. शिव नारायण ने जोड़ा खून का रिश्ता, किसी व्यक्ति की बचाई जा सकती है जिंदगी
मण्डल प्रभारी- बी0पी0 मिश्रा।
गोरखपुर।
रक्तदान तब होता है, जब एक स्वस्थ व्यक्ति स्वेच्छा से अपना रक्त देता है, और रक्त-आधान (ट्रांसफ्यूजन) के लिए उसका उपयोग होता है या फ्रैकशेनेशन नामक प्रक्रिया के जरिये दवा बनायी जाती है। विकसित देशों में, अधिकांश रक्तदाता अवैतनिक स्वयंसेवक होते हैं, जो सामुदायिक आपूर्ति के लिए रक्त दान करते हैं। गरीब देशों में, स्थापित आपूर्ति सीमित हैं और आमतौर पर परिवार या मित्रों के लिए आधान की जरूरत होने पर ही रक्तदाता रक्त दिया करते हैं।
बतादे कि बुधवार को शिव नारायन मौर्या जो पेसे से एमआर हैं, लोग के लिए रक्त दान किया, जो बहुत ही गरीब है, और उनका हर्ट का आपरेशन आयूषमान कार्ड पर फातिमा होस्पिटल मे हुआ है। मरीज का नाम परमेश्वर प्रसाद मधेशिया निवासी सूरज कुन्द गोरखपुर है। सब्जी की दुकान पर सब्जी बेचता है, किसी बजह से उसके हर्ट के दोनो वाल काम करना बंद कर दिये। उसको फातिमा मे ऐडमिट कराया गया और डॉक्टर की सलाह पर आपरेशन हुआ। ज़िसमे चार यूनिट ब्लड लगे। ज़िसकी सूचना मरीज की बहन बेबी मधेशिया ने सेसफा ग्रुप आफ इन्डिया एण्ड सी.स्काई फाउंडेशन के संचालक संस्थापक सच्चिदानन्द मौर्या को दिया। फाउंडेशन के मेंबर शिवनारायन मौर्या खुद जाकर रक्तदान किया। सेसफा ग्रुप ऑफ इन्डिया एण्ड सी.स्काई फॉउंड़ेशन शिव नारायण मौर्या का बहुत-बहुत धन्यवाद करती है। हमारे प्रधानमंत्री मोदी का बहुत-बहुत धन्यवाद, ज़िन्होने आयूषमान भारत कार्ड गरीबो के लिए बनवाया। ऐसे हजारो गरीबो का आपरेशन हो रहा है, जो पैसे की वजह से मर जाते। लेकिन आज वो लोग ज़िन्दा है। इन सभी का कहना है, कि किसी की जिंदगी बचा लेने से बढ़कर दूसरा कोई काम नहीं। रक्तदान के बाद मरीज और उनके परिजनों को देखकर यही लगता है कि वे किसी के काम आ गए, यही कारण है, कि वे बार बार रक्तदान करते हैं।